जहां गूंजा पहला जय श्रीराम: जानिए कहां अवतरित हुए थे शिव के अंश पवनपुत्र हनुमान
- ANH News
- 14 अप्रैल
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भगवान हनुमान, जिन्हें रामभक्त, संकटमोचक, अंजनि पुत्र, और महावीर के नाम से जाना जाता है, हिंदू धर्म के सबसे पूजनीय और प्रिय देवताओं में से एक हैं। रामायण, तुलसीदास की ‘रामचरितमानस’ और वाल्मीकि कृत महाकाव्य में हनुमानजी को भगवान राम के अनन्य सेवक और परम भक्त के रूप में चित्रित किया गया है।
शिवपुराण में इन्हें रुद्रावतार माना गया है – अर्थात भगवान शिव के ग्यारहवें अवतार। हनुमान जयंती, जो उनके जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है, वर्ष में दो बार प्रमुख रूप से मनाई जाती है – पहली चैत्र मास की पूर्णिमा को और दूसरी कार्तिक मास की नरक चतुर्दशी को।
अंजनी पुत्र कैसे कहलाए?
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हनुमानजी की माता अंजना, पूर्वजन्म में स्वर्गलोक की एक अप्सरा थीं जिन्हें एक ऋषि के श्राप से वानरी रूप में जन्म लेना पड़ा। शाप की यह शर्त थी कि जब वे प्रेम में पड़ेंगी, तभी उनका रूप वानरी का हो जाएगा, और उसी प्रेम से उन्हें एक दिव्य संतान की प्राप्ति होगी – जो शिव के अंश से जन्मा होगा।

अंजना ने वानरराज केसरी से विवाह किया। एक दिन भगवान शिव, भगवान विष्णु के मोहिनी रूप के दर्शनों हेतु व्याकुल हुए। मोहिनी रूप देखकर शिवजी की कामभावना जागृत हुई और उनका वीर्य पवन देव के माध्यम से अंजना के गर्भ में प्रविष्ट हुआ। इसी अलौकिक प्रक्रिया से हनुमानजी का जन्म हुआ, इसीलिए वे पवनपुत्र और अंजनी पुत्र कहे जाते हैं।
हनुमानजी के जन्मस्थान को लेकर प्रमुख मान्यताएं
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हनुमानजी की महिमा जितनी विशाल है, उतनी ही विविध हैं उनके जन्मस्थान को लेकर फैली मान्यताएँ। भारतवर्ष में चार प्रमुख स्थानों को उनका जन्मस्थल माना जाता है:
1. कैथल, हरियाणा – प्राचीन कपिस्थल
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हरियाणा का कैथल, जिसे प्राचीन काल में कपिस्थल कहा जाता था, को हनुमानजी का जन्मस्थान मानने वाला एक मजबूत मत है। कपिस्थल, उस समय कुरु साम्राज्य का एक महत्वपूर्ण भाग था। यहां हनुमानजी का विशाल मंदिर स्थित है, और लोककथाओं में यह क्षेत्र केसरी की राजधानी बताया गया है। पुराणों में इसके उल्लेख से यह धारणा मिलती है कि यहीं पर बजरंगबली ने जन्म लिया था।
2. अंजनी पर्वत, डांग जिला, गुजरात
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डांग जिला, जो रामायण काल में दंडकारण्य कहलाता था, को भी हनुमानजी का जन्मस्थान माना जाता है। यहाँ स्थित अंजनी पर्वत और अंजनी गुफा इस मान्यता के प्रमाणस्वरूप मौजूद हैं। कहा जाता है कि माता अंजना ने इसी पर्वत पर कठोर तपस्या की थी और यहीं उन्हें बालक हनुमान की प्राप्ति हुई। यह स्थल आज भी “शबरीधाम” के नाम से प्रसिद्ध है, जहाँ राम-शबरी संवाद की गाथा भी जीवंत है।

3. आंजन ग्राम, गुमला जिला, झारखंड
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झारखंड के गुमला जिले में स्थित आंजन गांव भी हनुमानजी के जन्मस्थान के रूप में प्रसिद्ध है। यहाँ एक प्राकृतिक गुफा है, जहाँ माता अंजना तपस्या करती थीं और यहीं उन्होंने हनुमानजी को जन्म दिया। यहां की स्थानीय जनजातियाँ आज भी अत्यंत श्रद्धा के साथ माता अंजनी और भगवान महावीर की आराधना करती हैं। यह क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर और आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत है।
4. पंपासरोवर, अनेगुंदी, कर्नाटक
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कर्नाटक के हंपी के पास स्थित अनेगुंदी गांव, रामायणकालीन किष्किंधा नगरी के रूप में जाना जाता है। यहाँ के निकट ही पंपासरोवर और शबरी गुफा स्थित हैं। मान्यता है कि यहीं मतंग ऋषि के आश्रम में हनुमानजी ने जन्म लिया था। यह क्षेत्र आज भी उन आध्यात्मिक अनुभूतियों को संजोए हुए है जो भगवान राम, शबरी, सुग्रीव और हनुमान के समय से जुड़ी हैं।

हनुमानजी के जन्मस्थान को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं, परंतु उनकी भक्ति का सार एक ही है – निस्वार्थ सेवा और पराक्रम। चाहे वे कैथल में जन्मे हों, अंजनी पर्वत पर या झारखंड की गुफा में – उनकी महिमा संपूर्ण भारतवर्ष में गूंजती है।
हनुमान जयंती पर हम सभी को चाहिए कि उनकी भक्ति, शक्ति और सेवा भाव से प्रेरणा लें और अपने जीवन में सत्य, धर्म और समर्पण की राह पर चलें।