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बाल आयोग की चिंता- अवैध मदरसों के बच्चों का क्या होगा भविष्य, स्कूलों में एडमिशन मिलना मुश्किल

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 22 मार्च
  • 2 मिनट पठन



उत्तराखंड: राज्य बाल आयोग ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान जारी करते हुए कहा कि बिना मान्यता प्राप्त मदरसा विद्यालयों में पढ़ाई कर रहे बच्चों का भविष्य संकट में दिखाई दे रहा है। इन बच्चों को आगे जाकर अन्य मान्यता प्राप्त विद्यालयों में दाखिला मिलना मुश्किल हो रहा है, जो उनकी शिक्षा और भविष्य के लिए गंभीर चिंता का विषय है। यह टिप्पणी आयोग ने मुस्लिम बस्ती में संचालित एक मॉडर्न मदरसा के खिलाफ प्राप्त शिकायत पर सुनवाई करते हुए की।


आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने स्पष्ट रूप से कहा कि मदरसा के प्रतिनिधियों को शीघ्र आवश्यक मानकों को पूरा कर विद्यालय की मान्यता प्राप्त करनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को निर्देशित किया कि जब तक मदरसा को मान्यता नहीं मिलती, तब तक इन बच्चों को अन्य मान्यता प्राप्त विद्यालयों में दाखिला दिलाने में मदद करें, ताकि उनकी शिक्षा में कोई रुकावट न आए।


इसके अतिरिक्त, बाल आयोग ने एक अन्य मामले में नाराजगी जाहिर की, जिसमें साल 2023 में हिल्टन स्कूल में एक बच्ची को फीस के लिए प्रताड़ित करने का मामला सामने आया था। आयोग ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को तलब किया था, लेकिन सुनवाई के दौरान स्कूल प्रतिनिधि अनुपस्थित रहे। इस पर आयोग ने गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति पर पुलिस के माध्यम से समन भेजने की चेतावनी दी है। इसके अलावा, शिक्षा विभाग को इस मामले में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया है।


राजा राम रॉय विद्यालय के खिलाफ भी फीस वृद्धि और आरटीई अधिनियम के उल्लंघन की शिकायतें प्राप्त हुई हैं। आयोग ने जिला शिक्षा अधिकारी को विद्यालय की आधारभूत सुविधाओं और फीस वृद्धि की जांच करने के लिए संयुक्त निरीक्षण करने का आदेश दिया है। आयोग ने विद्यालय प्रशासन से कंपोजिट फीस जैसे अवैध प्रावधानों को लेकर भी सख्त नाराजगी व्यक्त की है और नियमों का उल्लंघन करने पर विद्यालय की एनओसी रद्द करने की चेतावनी दी है।


राज्य बाल आयोग बच्चों के शैक्षणिक अधिकारों की रक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। आयोग ने यह स्पष्ट किया कि भविष्य में ऐसी किसी भी शिकायत पर सख्त कार्रवाई की जाएगी और बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले विद्यालयों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा।


डॉ. गीता खन्ना, अध्यक्ष, राज्य बाल आयोग

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