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नए शिक्षा सत्र का आगाज मगर मुफ्त किताबों के इंतजार में छात्र-छात्राएं, सिस्टम की सुस्ती पर उठे सवाल

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 2 अप्रैल
  • 2 मिनट पठन

उत्तराखंड: नया शिक्षा सत्र 2025-26 आज से शुरू हो गया है, और सरकारी तथा अशासकीय विद्यालयों में कक्षाएं फिर से खुल रही हैं। हालांकि, इस सत्र के शुरुआत के साथ ही एक बार फिर मुफ्त पाठ्य पुस्तकें वितरण में देरी का मुद्दा सामने आ गया है, और प्रदेश के 10 लाख से अधिक छात्रों के लिए यह एक निराशाजनक स्थिति बनी हुई है। नियमानुसार, 1 अप्रैल से पहले सभी छात्र-छात्राओं तक मुफ्त पाठ्य पुस्तकें पहुंच जानी चाहिए थीं, लेकिन सरकारी सिस्टम की सुस्ती की वजह से यह संभव नहीं हो सका है।


पाठ्य पुस्तकों की देरी:


सरकार की ओर से सरकारी और अशासकीय विद्यालयों में कक्षा 1 से 12वीं तक पढ़ाई करने वाले छात्रों को मुफ्त पाठ्य पुस्तकें दी जाती हैं। इस पर सालभर का समय उपलब्ध होता है, लेकिन विभाग को शासन से केवल 11 दिन पहले सहमति मिली। पिछले सप्ताह प्रिंटर को एनसीईआरटी से उपलब्ध सीडी दी गई, जबकि अन्य राज्यों में ब्लॉक स्तर तक पाठ्य पुस्तकें पहले ही पहुंच चुकी हैं।


माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती का कहना है कि पाठ्य पुस्तकों के लिए शासन से सहमति मिल चुकी है और 3 अप्रैल से छात्रों को किताबें मिलने लगेंगी। इस बीच, जब तक छात्र-छात्राओं को मुफ्त किताबें नहीं मिलतीं, तब तक विद्यालयों में बने बुक बैंक से उन्हें पुस्तकें उपलब्ध कराई जाएंगी।


कापियों का वितरण भी होगा देरी से:


पाठ्य पुस्तकों के बाद छात्र-छात्राओं को मुफ्त कापियां भी दी जानी हैं, लेकिन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इसके लिए शासन को प्रस्ताव भेजा जा चुका है। अनुमति मिलने के बाद कापियां भी छात्रों को उपलब्ध कराई जाएंगी, लेकिन इसमें समय लग सकता है।


प्रदेश में सरकारी विद्यालयों की स्थिति:


उत्तराखंड में सरकारी विद्यालयों की संख्या काफी अधिक है, और छात्रों की संख्या भी बड़ी है। राज्य के विभिन्न जिलों में सरकारी विद्यालयों की संख्या इस प्रकार है:


पौड़ी: 1994


अल्मोड़ा: 1713


बागेश्वर: 768


चमोली: 1325


चंपावत: 682


देहरादून: 1296


हरिद्वार: 938


नैनीताल: 1349


पिथौरागढ़: 1487


रुद्रप्रयाग: 765


टिहरी: 1901


ऊधमसिंह नगर: 1110


उत्तरकाशी: 1173


प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल:


हर साल सरकार की ओर से यह वादा किया जाता है कि छात्रों को समय पर पाठ्य पुस्तकें मिलेंगी, लेकिन हर बार इसे लेकर प्रशासनिक लापरवाही सामने आती है। इस बार भी कागजी कार्रवाई में देरी और शासन से देर से सहमति मिलने के कारण छात्र-छात्राओं को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है।


निदेशक का बयान:


डा. मुकुल कुमार सती, निदेशक माध्यमिक शिक्षा ने कहा कि "20 मार्च को शासन से मुफ्त पाठ्य पुस्तकों के लिए सहमति मिल चुकी है और प्रिंटर के साथ एमओयू हो चुका है। जल्द ही छात्रों को उनकी किताबें मिलनी शुरू हो जाएंगी।"


यह स्थिति छात्रों के लिए निराशाजनक है, और इस पर प्रशासनिक सुधार की आवश्यकता महसूस हो रही है ताकि समय पर बच्चों को उनकी आवश्यक सामग्री मिल सके।

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