top of page

UK: हाईकोर्ट का सरकार को निर्देश जहां-जहां अतिक्रमण है उसे हटाकर वहां लगाए CCTV

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 25 मार्च
  • 2 मिनट पठन



उत्तराखंड: नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से यह निर्देश दिया है कि नदी, नालों और गधेरों में जो भी अतिक्रमण हुआ है, उसे तत्काल हटाया जाए और उन जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। इन क्षेत्रों को वैसे ही मैनेज किया जाए जैसे सड़कों के दुर्घटनाग्रस्त इलाकों को किया जाता है। यह आदेश विशेष रूप से जल स्रोतों और नदियों के पर्यावरणीय संरक्षण को लेकर दायर की गई तीन जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिया गया।


मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने क्या कहा?

इस आदेश में न्यायाधीशों ने यह भी कहा कि नदी और नालों के अतिक्रमणकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। संबंधित एसएचओ को आदेश दिया गया कि वे अतिक्रमणकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करें और रिपोर्ट पेश करें। इसके अलावा, उन्होंने जल स्रोतों, पर्यावरण और नदियों के संरक्षण के लिए एक व्यापक योजना तैयार करने का भी निर्देश दिया।


सचिवों की पेशी और विभागीय कार्रवाई

पूर्व आदेश के अनुसार राज्य सरकार के प्रमुख वन सचिव, शहरी विकास सचिव और राजस्व विभाग के सचिव वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेश हुए। सचिव वन ने कोर्ट को बताया कि किन्हीं कारणों से पूर्व आदेशों का पालन नहीं हो पाया है और इस पर 4 हफ्ते का समय मांगने का अनुरोध किया गया, क्योंकि वित्तीय वर्ष का अंतिम सप्ताह चल रहा है। इस पर कोर्ट ने संबंधित विभागों को तीन हफ्ते के भीतर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया और स्वयं वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया।


आगे की कार्यवाही और दिशा-निर्देश

कोर्ट ने शहरी विकास सचिव से कहा कि वे प्रदेश के नागरिकों के बीच संदेश फैलाएं, ताकि लोग नदी, नालों और गधेरों में अतिक्रमण, मलबा डालने और अवैध खनन से बचें। इस अभियान का उद्देश्य मानसून के दौरान संभावित दुर्घटनाओं से बचाव करना है।


जनहित याचिकाएं और पर्यावरणीय संकट

यह मामला तब सामने आया जब देहरादून के अजय नारायण शर्मा, रेनू पाल और उर्मिला थापर ने हाईकोर्ट में जनहित याचिकाएं दायर कीं। इन याचिकाओं में आरोप लगाया गया कि देहरादून के सहस्त्रधारा क्षेत्र में जलमग्न भूमि पर भारी निर्माण कार्य हो रहे हैं, जिससे जल स्रोतों के सूखने और पर्यावरणीय संकट का खतरा बढ़ रहा है। दूसरी याचिका में ऋषिकेश क्षेत्र में नालों और ढांगों पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण की बात कही गई, जिसमें बिंदाल और रिस्पना नदियों की भूमि पर अवैध कब्जे का जिक्र किया गया।


अतिक्रमण की स्थिति

अभी तक की जानकारी के अनुसार देहरादून में 100 एकड़, विकासनगर में 140 एकड़, ऋषिकेश में 15 एकड़ और डोईवाला में 15 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण हुआ है। खासकर बिंदाल और रिस्पना नदियों के किनारे इन अतिक्रमणों ने पर्यावरण को गंभीर खतरे में डाल दिया है।


अगली सुनवाई: 15 अप्रैल

इस मामले की अगली सुनवाई 15 अप्रैल को होगी, जब सरकार की ओर से इन आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए रिपोर्ट पेश की जाएगी।

bottom of page