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सम्मान के हकदार जवानों के लिए डीजीपी का सराहनीय कदम, नोडल अफसर नियुक्त करने के दिए निर्देश

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 18 अप्रैल
  • 3 मिनट पठन

देहरादून: उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दीपम सेठ ने पुलिस प्रशासन के मानवीय पक्ष को सशक्त करते हुए एक अहम निर्णय लिया है। उन्होंने बॉर्डर पर तैनात सेना के जवानों, भूतपूर्व सैनिकों, अर्धसैनिक बलों के कार्मिकों और पुलिस पेंशनर्स के कल्याण के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश दिए हैं। यह पहल इन सम्माननीय नागरिकों की समस्याओं के त्वरित समाधान और उनके समुचित सम्मान सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।


डीजीपी ने स्पष्ट किया कि यदि इन वर्गों से संबंधित किसी प्रकार की समस्या सामने आती है, तो पुलिस स्तर से उसका शीघ्र समाधान किया जाना चाहिए। इसके लिए नियुक्त किया गया नोडल अफसर संबंधित मामलों की जानकारी मुख्यालय को भी देगा और पेंशन, चिकित्सा सहायता, काउंसलिंग सेवाएं व अन्य कल्याणकारी गतिविधियों को समयबद्ध तरीके से संपन्न कराएगा।


पुलिस समीक्षा बैठक में दिए गए कई महत्वपूर्ण निर्देश

बुधवार को पटेल भवन में आयोजित पुलिस कार्यों की समीक्षा बैठक में डीजीपी ने जिलेवार पुलिस अधिकारियों, बटालियन प्रभारियों को कई गंभीर विषयों पर दिशानिर्देश जारी किए। उनका कहना था कि लक्ष्य सिर्फ "कानून व्यवस्था बनाए रखना" नहीं, बल्कि एक संवेदनशील, तकनीकी रूप से सशक्त और प्रोफेशनल पुलिस व्यवस्था विकसित करना है। इसके लिए उन्होंने नीचे दिए गए विभिन्न क्षेत्रों में विशेष कार्रवाई करने के निर्देश दिए:



कानून व्यवस्था और अपराध नियंत्रण

-वांछित अपराधियों की गिरफ्तारी हेतु खुफिया तंत्र को सक्रिय करते हुए थाना स्तर पर समीक्षा की जाए।

-लंबित मामलों को प्राथमिकता के आधार पर निस्तारित किया जाए।

-इनामी अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए विशेष टीमों का गठन कर अभियान चलाया जाए।

-विवेचना में देरी के लिए जिम्मेदार कारणों की पहचान कर पुराने मामलों का शीघ्र समाधान हो।

-गैर-जमानती व कुर्की वारंटों की तामील सुनिश्चित कराने हेतु थाना प्रभारियों को व्यक्तिगत उत्तरदायित्व सौंपा जाए।

-मादक पदार्थ विरोधी अभियान सतत रूप से चलाया जाए, और आदतन तस्करों पर एनडीपीएस एक्ट के तहत कठोर कार्रवाई की जाए।

-डायल 112 की प्रतिक्रिया समय को बेहतर बनाने के लिए संसाधनों का पुनःसंरचना कर समयबद्ध सेवा सुनिश्चित की जाए।

-महिला सुरक्षा के लिए बीट स्तर पर जनसंपर्क अभियान और साइबर क्राइम हेल्पलाइन को प्रभावशाली बनाया जाए।

-गंभीर अपराधों में एफएसएल और फील्ड यूनिट की अनिवार्य उपस्थिति के साथ मासिक समीक्षा की जाए।


नए कानून और डिजिटल पोर्टल्स की प्रभावी क्रियान्वयन

-नई आपराधिक संहिता के तहत जीरो एफआईआर व ई-एफआईआर को लेकर जागरूकता फैलाई जाए।

-सीसीटीएनएस पोर्टल पर डाटा की गुणवत्ता में सुधार किया जाए।

-नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल, समन्वय, नेटग्रिड, एनकॉर्ड, निदान, मानस आदि पोर्टल्स का समन्वित संचालन हो।

-हर पोर्टल के लिए जिलास्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त कर उसकी रिपोर्ट मुख्यालय को भेजी जाए।

-संबंधित कर्मियों को प्रत्येक पोर्टल की कार्यप्रणाली हेतु विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया जाए।


चारधाम यात्रा 2024 की सुरक्षा और प्रबंधन

-गढ़वाल रेंज कार्यालय में स्थापित चारधाम कंट्रोल रूम को शीघ्र शुरू किया जाए।

-यात्रा मार्गों की ट्रैफिक योजना, भीड़ नियंत्रण, पार्किंग और सुरक्षा प्रबंधन को अंतिम रूप दिया जाए।

-उत्तराखंड पुलिस मोबाइल एप में रियल-टाइम अपडेट, इमरजेंसी हेल्पलाइन और रूट अलर्ट जैसी सेवाएं सक्रिय की जाएं।


फिट उत्तराखंड अभियान के तहत पुलिसकर्मियों की सेहत पर जोर

नियमित स्वास्थ्य परीक्षण अनिवार्य किया जाए।

-पुलिस लाइनों में परेड, योग, पीटी और मेडिटेशन सत्र आयोजित हों।

-मानसिक स्वास्थ्य और स्ट्रेस मैनेजमेंट के लिए काउंसलिंग वर्कशॉप्स कराई जाएं।

-स्वस्थ जीवनशैली और कार्य-जीवन संतुलन पर जागरूकता अभियान चलाया जाए।


महिला पुलिसकर्मियों के लिए विशेष सशक्तिकरण पहल

-महिला पुलिस के लिए विशेष स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम शुरू किए जाएं।

-साइबर अपराध, महिला/बाल सुरक्षा और विवेचना से जुड़े विषयों पर प्रशिक्षण कार्यशालाएं हों।

-ड्यूटी में सुविधा के लिए स्वास्थ्य, परामर्श और मातृत्व से संबंधित प्रावधानों को बेहतर बनाया जाए।

-महिला पुलिसकर्मियों को सम्मान, पदोन्नति और समान अवसर सुनिश्चित किए जाएं।


डीजीपी दीपम सेठ द्वारा लिए गए ये निर्णय न केवल पुलिस प्रशासन को मजबूत बनाएंगे, बल्कि समाज के उन वर्गों के प्रति सम्मान और संवेदनशीलता भी दर्शाएंगे जो देश सेवा में अपनी ज़िंदगी समर्पित कर चुके हैं। यह पहल "संवेदनशील और सक्षम पुलिसिंग" की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है।

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