देहरादून के राजकीय इंटर कॉलेज में 12वीं की पूरी कक्षा फेल, शिक्षा विभाग पर उठे सवाल, मचा हड़कंप!
- ANH News
- 5 दिन पहले
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देहरादून जनपद के राइंका मेदनीपुर, बद्रीपुर से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जिसने शिक्षा व्यवस्था की जमीनी हकीकत को उजागर कर दिया है। यहां 12वीं कक्षा के सभी 22 छात्र-छात्राएं परीक्षा में असफल हो गए, जबकि इसी विद्यालय की 10वीं कक्षा में 94 प्रतिशत छात्र सफल हुए हैं। यह विरोधाभास न केवल हैरान करने वाला है, बल्कि शिक्षा विभाग की नीति और संसाधन वितरण पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।
फेल होने के पीछे कारण क्या है?
विद्यालय प्रशासन का कहना है कि यहां केवल विज्ञान वर्ग (पीसीएम) उपलब्ध है। छात्रों के पास अन्य विषयों, विशेषकर कला संकाय का कोई विकल्प नहीं है। अधिकांश छात्र ऐसे हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से आते हैं और वे कला विषयों में पढ़ाई करना चाहते थे, लेकिन विकल्प न होने की मजबूरी में उन्हें विज्ञान वर्ग चुनना पड़ा।
विद्यालय प्रशासन ने यह भी बताया कि अगर छात्रों को उनकी रुचि के अनुरूप विषय उपलब्ध कराए जाते, तो शायद यह परिणाम इतना निराशाजनक नहीं होता। कई छात्र 10वीं के बाद कला और वाणिज्य विषयों की पढ़ाई के लिए अन्य स्कूलों में चले गए, लेकिन जो छात्र आर्थिक या सामाजिक कारणों से स्थानांतरित नहीं हो सके, उन्हें विज्ञान विषय ही चुनना पड़ा।
2016 से लंबित है कला विषय की मांग
विद्यालय द्वारा वर्ष 2016 से ही कला विषयों के संचालन की मांग की जा रही है, लेकिन अब तक किसी भी स्तर से स्वीकृति नहीं मिल पाई है। विद्यालय का कहना है कि ब्लॉक स्तर पर यह एकमात्र ऐसा इंटर कॉलेज है जहां कला विषय उपलब्ध नहीं हैं, जिससे छात्रों को अपनी इच्छा के विरुद्ध कठिन विषयों में दाखिला लेना पड़ रहा है।
शिक्षा विभाग की प्रतिक्रिया
मुख्य शिक्षा अधिकारी विनोद कुमार ढौंडियाल ने मामले का संज्ञान लेते हुए कहा:
"जिन विद्यालयों का परिणाम असंतोषजनक रहा है, उन्हें नोटिस जारी किया जाएगा। राइंका मेदनीपुर, बद्रीपुर में केवल विज्ञान वर्ग है, जिसके चलते कमजोर छात्र भी उसी में पढ़ाई करने को मजबूर हैं। हम जल्द ही वहां कला विषय शुरू करने का प्रस्ताव भेजेंगे।"
एक बड़ी शिक्षा प्रणाली की खामियां उजागर
यह घटना महज एक स्कूल की असफलता नहीं, बल्कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था में मौजूद असमानता और योजनागत खामियों को उजागर करती है। जहां एक ओर ‘शिक्षा का अधिकार’ सभी के लिए समान अवसर की बात करता है, वहीं विषयों की अनुपलब्धता ग्रामीण और कमजोर वर्ग के छात्रों को पीछे धकेल रही है।