top of page

उत्तराखंड में बांज के पेड़ को 'हरा सोना' क्यों कहते हैं? जानिए इसके अनगिनत फायदे

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 14 फ़र॰
  • 2 मिनट पठन



उत्तराखंड में बांज के पेड़ को "हरा सोना" कहा जाता है, और इसका महत्व न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से, बल्कि धार्मिक और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी अत्यधिक है। बांज की राख का उपयोग विभिन्न घरेलू कामों में किया जाता है और यह कई लाभकारी गुणों से भरपूर मानी जाती है। पहाड़ी इलाकों में चीड़ और बांज की राख को विशेष रूप से उपयोगी माना जाता है, जो न केवल घर की सफाई के लिए, बल्कि स्टील, तांबे के बर्तनों और यहां तक कि कार की सतह की सफाई के लिए भी उपयोग की जाती है।


बांज: एक प्राकृतिक खजाना

-------------------------------------------

बागेश्वर के निवासी किशन मलड़ा, जो लोकल 18 से बात कर रहे थे, बताते हैं कि बांज को अंग्रेजी में 'ओक' (Oak) कहा जाता है, और यह उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। बांज को "हरा सोना" इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह न केवल पर्यावरण को समृद्ध बनाता है, बल्कि यह स्थानीय लोगों के जीवन का अभिन्न हिस्सा भी है।



बांज की राख के स्वास्थ्य लाभ और उपयोग

----------------------------------------------------------

किशन मलड़ा के अनुसार, बांज की सूखी लकड़ी पहाड़ों में ईंधन के रूप में प्रयोग की जाती है, और उसकी राख भी कई लाभकारी गुणों से भरपूर होती है। इसके साथ ही, बांज की राख बर्तनों की चमक को भी निखारने में मदद करती है। पुरानी मान्यताओं के अनुसार, इसकी राख से दांतों का मंजन करने से दांत मजबूत रहते थे और कीड़े नहीं लगते थे। यहां तक कि कहा जाता है कि पुराने समय के लोग, जो इस राख का नियमित रूप से उपयोग करते थे, वे सौ साल तक स्वस्थ रहते थे।




बांज और जैव विविधता

-----------------------------------------

बांज का पेड़ जैव विविधता को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह पेड़ न केवल आसपास के पर्यावरण को समृद्ध करता है, बल्कि पानी की मात्रा को भी बढ़ाने में सहायक है, जिससे क्षेत्र में हरियाली और जीवन के लिए आवश्यक जल संसाधन में वृद्धि होती है।


इस प्रकार, बांज के पेड़ का महत्व सिर्फ एक वृक्ष के रूप में नहीं है, बल्कि यह उत्तराखंड के पारंपरिक जीवनशैली और प्राकृतिक संतुलन का एक अहम हिस्सा है। इसके गुणकारी प्रभावों के कारण इसे "हरा सोना" के रूप में सम्मानित किया जाता है, जो न केवल प्राकृतिक संसाधन प्रदान करता है, बल्कि स्वास्थ्य और पर्यावरण की दृष्टि से भी अत्यधिक लाभकारी साबित होता है।

bottom of page