बद्री विशाल में फिर मौसम ने ली करवट, बर्फबारी, ओलावृष्टि और बारिश से बढ़ी ठंडक, जारी हुआ ऑरेंज अलर्ट
- ANH News
- 20 अप्रैल
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चमोली: शुक्रवार को चमोली जिले में मौसम ने फिर से करवट ली और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी के साथ ही निचले क्षेत्रों में बारिश और ओलावृष्टि हुई। इस मौसम बदलाव के कारण पूरे क्षेत्र में ठंडक बढ़ गई है। खासतौर पर बदरीनाथ धाम की ऊंची चोटियों, हेमकुंड साहिब, रुद्रनाथ, लाल माटी, नंदा घुंघटी और नीती तथा माणा घाटी में बर्फबारी हुई, जबकि गोपेश्वर और पीपलकोटी क्षेत्रों में आधे घंटे तक जमकर ओलावृष्टि हुई।
बर्फबारी और ओलावृष्टि से फसलों को नुकसान
गोपेश्वर के साथ ही दशोली ब्लॉक के घिंघराण, देवर, खडोरा, कुजौं-मैकोट क्षेत्र में ओलावृष्टि ने गेहूं और साग-सब्जियों की फसल को नुकसान पहुंचाया है। इस प्राकृतिक आपदा से किसानों की चिंता बढ़ गई है, क्योंकि ओलावृष्टि से उनकी मेहनत पर पानी फिर गया है।
गोपेश्वर में ठंडी हवाओं का असर
गोपेश्वर में बर्फबारी और ओलावृष्टि के बाद शाम के समय ठंडी हवाएं चलीं, जिससे मौसम में ठंडक बढ़ गई। हालांकि, कर्णप्रयाग क्षेत्र में तेज हवाओं के बावजूद बारिश नहीं हुई।
प्रदेश में ऑरेंज अलर्ट और संभावित मौसम की चेतावनी
मौसम विभाग ने उत्तराखंड के सभी जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। विभाग की चेतावनी के मुताबिक, अगले कुछ दिनों में प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश, ओलावृष्टि और तेज हवाओं का सामना करना पड़ सकता है।
विशेष रूप से देहरादून, पौड़ी, चंपावत, नैनीताल, ऊधमसिंह नगर, हरिद्वार, उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, टिहरी, पिथौरागढ़, बागेश्वर और अल्मोड़ा जिलों में ओलावृष्टि और बारिश के साथ 30 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल सकती हैं।
देहरादून में मौसम का मिजाज
देहरादून में भी मौसम का मिजाज बदलने की पूरी संभावना है। बारिश के साथ दिनभर बादल छाए रहेंगे, जिसके कारण अधिकतम तापमान में गिरावट आने की संभावना है। शुक्रवार को देहरादून का अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 20.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था, लेकिन मौसम की ताजा जानकारी के अनुसार, आगामी दिनो में तापमान में और कमी देखने को मिल सकती है।
इस समय उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में मौसम का मिजाज तेजी से बदल रहा है, जिससे पर्यटकों और स्थानीय निवासियों को सावधान रहने की सलाह दी गई है। साथ ही, किसानों को भी अपनी फसलों की सुरक्षा के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है, क्योंकि मौसम की ऐसी अचानक बदलाव से फसलों को नुकसान हो सकता है।