रुद्रप्रयाग में घोड़े-खच्चर हुए फ्लू से संक्रमित, फ़िलहाल यात्रा के लिए पंजीकरण प्रक्रिया स्थगित
- ANH News
- 26 मार्च
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रुद्रप्रयाग जिले के कई गांवों में 16 घोड़ा-खच्चर श्वसन रोग, जिसे इक्वाइन इन्फ्लूएंजा या हॉर्स फ्लू कहा जाता है, से संक्रमित हो गए हैं। इसके कारण केदारनाथ यात्रा के लिए घोड़ा-खच्चरों के पंजीकरण शिविर अगले दस दिनों तक स्थगित कर दिए गए हैं। इसके अलावा, पूरे जिले में घोड़ा-खच्चरों के आवागमन पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।
बसुकेदार उप तहसील के बीरों, बष्टी, जलई और मद्महेश्वर घाटी के मनसूना गांवों में घोड़ा-खच्चर इस वायरस से संक्रमित हुए हैं। इन जानवरों में तेज बुखार, नाक से पानी बहना, खांसी और शरीर के विभिन्न हिस्सों पर दाने निकलने जैसे लक्षण पाए गए हैं। साथ ही, यह जानवर पानी भी नहीं पी पा रहे हैं। प्रारंभिक जांच में इन चार गांवों में कुल 16 घोड़ा-खच्चर में इस संक्रमण के लक्षण मिले हैं।
ग्रामीणों द्वारा सूचित किए जाने के बाद, पशुपालन विभाग की डॉक्टरों की टीम गांवों में पहुंची और संक्रमित घोड़ा-खच्चरों के खून के सैंपल लेकर जांच के लिए हिसार स्थित राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान भेज दिए हैं। साथ ही, इन घोड़ा-खच्चरों का उपचार भी शुरू कर दिया गया है।
इस संक्रमण के फैलने की आशंका को देखते हुए, केदारनाथ यात्रा के लिए घोड़ा-खच्चरों के स्वास्थ्य जांच, पंजीकरण और बीमा के लिए आयोजित शिविरों को अगले दस दिनों तक स्थगित कर दिया गया है।
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. आशीष रावत ने बताया कि हॉर्स फ्लू एक श्वसन रोग है, जो हवा के जरिए तेजी से फैलता है। इसलिए पूरे जिले में घोड़ा-खच्चरों के आवागमन पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। यदि कोई पशुपालक इन नियमों का उल्लंघन करता हुआ पाया गया, तो उसके खिलाफ पशुओं में संक्रामक और संचारी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण अधिनियम 2009 (एक्स-27 ऑफ 2009) के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
हॉर्स फ्लू से पीड़ित घोड़ा-खच्चर आम तौर पर 20 से 25 दिन में ठीक हो जाते हैं, लेकिन कभी-कभी यह संक्रमण लंबा भी रह सकता है। अब तक इस संक्रमण के मामले सिर्फ दो दिन पहले सामने आए हैं, और सभी संक्रमित जानवरों का इलाज जारी है।