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बाबा तरसेम सिंह हत्याकांड के आरोपी शूटर सरबजीत गिरफ्तार, एक साल से पुलिस को दे रहा था चकमा

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 27 मार्च
  • 2 मिनट पठन


उधम सिंह नगर: बाबा तरसेम सिंह की हत्या के आरोपी और शूटर, सरबजीत सिंह, एक साल से पुलिस की पकड़ से दूर था। इस दौरान उसने न केवल कई ठिकाने बदले, बल्कि अपनी पहचान छिपाने के लिए हुलिया भी कई बार बदला। 28 मार्च 2024 को नानकमत्ता में बाबा तरसेम सिंह की हत्या करने के बाद सरबजीत और उसका साथी अमरजीत सिंह उर्फ बिट्टू बाइक से फरार हो गए थे। जहां बिट्टू का एनकाउंटर अप्रैल 2024 में हरिद्वार में हो गया, वहीं सरबजीत भूमिगत हो गया। उसकी गिरफ्तारी के लिए पहले 50,000 रुपये का इनाम रखा गया, फिर बढ़ाकर 1 लाख और अंत में 2 लाख रुपये कर दिया गया।


एसटीएफ और पुलिस की संयुक्त टीम उसकी तलाश में जुटी हुई थी। पंजाब में उसके संभावित ठिकानों पर कई बार दबिश दी गई, लेकिन वह हर बार पुलिस को चकमा देने में सफल रहा। पुलिस को दो महीने पहले तरनतारन में उसके छिपे होने की जानकारी मिली। इस पर एसएसपी मणिकांत मिश्रा ने इस मामले को अपने हाथ में लिया और एक गोपनीय टीम तरनतारन भेजी। इस ऑपरेशन को बेहद गोपनीय रखा गया, जिससे पुलिस की हर गतिविधि पर किसी को भी शक नहीं हुआ।


सरबजीत सिंह का आपराधिक इतिहास

सरबजीत सिंह का आपराधिक इतिहास लंबा और खतरनाक रहा है। वह विभिन्न अपराधों में संलिप्त रहा है, जिनमें हत्या, अपहरण, डकैती, आर्म्स एक्ट और एनडीपीएस एक्ट जैसे गंभीर मामले शामिल हैं। उसके खिलाफ पंजाब और उत्तर भारत के कई राज्यों में मुकदमे दर्ज हैं। विशेष रूप से, बाबा तरसेम सिंह की हत्या के बाद वह फरार हो गया था, और उसके खिलाफ नानकमत्ता में हत्या का मामला दर्ज हुआ था।


सोशल मीडिया पर ली हत्या की जिम्मेदारी

हत्याकांड के बाद, सरबजीत ने सोशल मीडिया अकाउंट से एक पोस्ट की, जिसमें उसने बाबा तरसेम सिंह की हत्या की जिम्मेदारी ली थी। इस पोस्ट में दावा किया गया था कि वह बांग्लादेश के ढाका में स्थित गुरुद्वारा नानकशाही में था और जल्द ही अकाल तख्त साहिब के सामने पेश होगा। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो सका कि यह पोस्ट सरबजीत ने की थी या किसी और ने।


हत्याकांड की सटीक योजना और अंजाम

28 मार्च 2024 की सुबह 6:15 बजे, सरबजीत और उसका साथी अमरजीत सिंह बाइक से डेरा कार सेवा में घुसे। सरबजीत बाइक चला रहा था, जबकि अमरजीत ने बाबा तरसेम सिंह को गोली मारी। घटना के समय बाबा परिसर में कुर्सी पर बैठे हुए थे। कुछ दिन बाद, 8 अप्रैल 2024 को, अमरजीत सिंह का एनकाउंटर उत्तराखंड एसटीएफ और हरिद्वार पुलिस ने किया, लेकिन सरबजीत फरार रहा। इसके बावजूद, पुलिस ने लगातार प्रयास जारी रखे और आखिरकार सरबजीत को 2024 में पंजाब के तरनतारन जिले से गिरफ्तार कर लिया।


पुलिस के लिए बड़ी सफलता

सरबजीत की गिरफ्तारी पुलिस के लिए एक बड़ी सफलता मानी जा रही है। एक साल बाद, जब वह पुलिस की पकड़ से बाहर था, उसकी गिरफ्तारी से इस हत्याकांड से जुड़े अन्य षड्यंत्रकारियों तक पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है। पुलिस के साथ-साथ एसटीएफ ने भी उसकी तलाश में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। सोशल मीडिया पर वह अपनी गलत लोकेशन के जरिए पुलिस की जांच को गुमराह करने की कोशिश करता रहा, और उसकी विदेश भागने की भी कई बार चर्चा हुई थी। लेकिन अंततः, एसएसपी मणिकांत मिश्रा की अगुवाई में उत्तराखंड पुलिस ने इस चुनौतीपूर्ण टास्क को सफलतापूर्वक पूरा किया।

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