चारधाम यात्रा बन सकती है पंचायत चुनाव में बाधा, OBC आरक्षण पर फैसला अब तक नहीं
- ANH News
- 18 अप्रैल
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देहरादून: उत्तराखंड में इस वर्ष होने वाले पंचायत चुनावों पर अब अनिश्चितता के बादल गहराने लगे हैं। एक ओर जहां प्रदेश में बहुप्रतीक्षित चारधाम यात्रा की शुरुआत होने जा रही है, वहीं दूसरी ओर पंचायत चुनाव की तैयारियों में अब तक कई अहम कदम अधूरे हैं। इस देरी के चलते सरकार को जिला पंचायतों के प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाने की नौबत आ सकती है।
1 जून को समाप्त हो रहा है प्रशासकों का कार्यकाल, और ऐसे में न तो अभी तक ओबीसी आरक्षण को लेकर अध्यादेश जारी हुआ है, और न ही पंचायत एक्ट में संशोधन की प्रक्रिया पूरी हुई है। मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में भी इस संबंध में कोई प्रस्ताव नहीं लाया गया, जिससे स्थिति और अधिक स्पष्ट नहीं हो सकी।
पंचायत चुनाव की प्रक्रिया में कई अहम चरण बाकी
हरिद्वार जिले को छोड़कर प्रदेश के अन्य 12 जिलों में पंचायत चुनाव होने हैं। लेकिन चुनाव से पहले जरूरी है कि पंचायत एक्ट में संशोधन कर ओबीसी आरक्षण को शामिल किया जाए। इसके बाद ही आरक्षण का शासनादेश जारी होगा, और निर्धारित प्रतिशत के अनुसार आरक्षण की अधिसूचना का अनंतिम प्रकाशन किया जाएगा।
इस प्रक्रिया के अंतर्गत:
-आरक्षण सूची प्रकाशित होने के बाद आपत्तियां आमंत्रित की जाएंगी
-फिर उन आपत्तियों पर सुनवाई और निस्तारण किया जाएगा
-उसके बाद एससी, एसटी, ओबीसी और महिला आरक्षण को अंतिम रूप मिलेगा
-अंत में पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी होगी
-विभागीय अधिकारियों के अनुसार, यह संपूर्ण प्रक्रिया समय लेने वाली है, और इसमें कई प्रशासनिक स्तरों पर समन्वय की आवश्यकता होगी।
चारधाम यात्रा में व्यस्त होगी सरकारी मशीनरी
इसी दौरान राज्य में चारधाम यात्रा शुरू हो रही है, जिसमें प्रशासन, पुलिस और स्थानीय निकायों की पूरी मशीनरी तैनात हो जाती है। ऐसे में चुनाव प्रक्रिया को समय पर पूरा कर पाना एक बड़ी चुनौती बन सकती है।
सूत्रों के अनुसार, प्रशासकों का कार्यकाल 1 जून को समाप्त हो रहा है, लेकिन उस समय तक चुनाव प्रक्रिया पूरी कर पाना संभव नहीं दिख रहा है। इसलिए सरकार के पास प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं रह जाएगा।
क्या कहते हैं अधिकारी?
पंचायतीराज विभाग के सचिव चंद्रेश कुमार ने बताया कि विभाग की ओर से पंचायत चुनावों की तैयारी की जा रही है। उनका कहना है कि चुनाव संपन्न कराने के लिए हमें 28 दिन की प्रक्रिया चाहिए। अभी हमारे पास समय है, और हम समय पर चुनाव कराने को लेकर प्रतिबद्ध हैं।
वहीं, राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार का कहना है कि "चुनाव आयोग की जिम्मेदारी आरक्षण मिलने के बाद शुरू होती है। अभी तक हमें आरक्षण की सूची प्राप्त नहीं हुई है। जैसे ही सरकार आरक्षण तय करती है, हम चुनाव प्रक्रिया शुरू कर देंगे।"