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Rishikesh AIIMS: गंदगी वाले क्षेत्रों में दवा के छिड़काव का ड्रोन बनेगा माध्यम, तैयार की कार्ययोजना

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 16 फ़र॰
  • 3 मिनट पठन



अब मच्छरों पर हमला करने के लिए ड्रोन का उपयोग किया जाएगा। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के टेली मेडिसिन विभाग ने इसके लिए एक नई कार्ययोजना तैयार की है। इस योजना के तहत, विजुअल लाइन ऑफ साइट (VLOS) तकनीक के माध्यम से ड्रोन का उपयोग गंदगी वाले क्षेत्रों में दवाइयों का छिड़काव करने के लिए किया जाएगा, जिससे मच्छर जनित रोगों के फैलने पर नियंत्रण पाया जा सके।


एम्स ने सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर यूज़ ऑफ ड्रोन इन मेडिसिन की स्थापना की है, और वर्ष 2023 से नियमित ड्रोन मेडिकल सेवाओं का संचालन किया जा रहा है। इस सेवा का वर्चुअल उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। फिलहाल, एम्स की ड्रोन सेवा बियॉन्ड विजुअल लाइन ऑफ साइट (BVLOS) तकनीक पर काम कर रही है, जिसके तहत दूरस्थ क्षेत्रों से ब्लड सैंपल लाने और दवाइयों की आपूर्ति की जाती है।


अब, एम्स ने विजुअल लाइन ऑफ साइट (VLOS) तकनीक के तहत स्मार्ट ड्रोन सेवा की कार्ययोजना बनाई है। इसका उद्देश्य मच्छर जनित रोगों जैसे डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के फैलने से बचाव के लिए गंदगी वाले क्षेत्रों में दवाइयों का छिड़काव करना है। ये ड्रोन खासतौर पर उन क्षेत्रों में उपयोग किए जाएंगे, जहां मच्छरों की अत्यधिक संख्या है और बीमारियों के फैलने का खतरा बना रहता है।



फरवरी 2024 में शुरू हुई ड्रोन सेवा

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इस सेवा के नोडल अधिकारी डॉ. जितेंद्र गैरोला के अनुसार, एम्स की नियमित ड्रोन मेडिकल सेवा फरवरी 2024 में शुरू हुई थी। अब तक 162 से अधिक उड़ानें हो चुकी हैं, जिनके माध्यम से दूरस्थ क्षेत्रों से ब्लड सैंपल लाए गए और टीबी जैसी बीमारियों की दवाइयां भेजी गईं।


भविष्य में रूटीन ओपीडी भी जुड़ेगी

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एम्स की ड्रोन सेवा को भविष्य में रूटीन ओपीडी से भी जोड़ा जाएगा। इस योजना के तहत, दूरस्थ क्षेत्रों के मरीजों को टेलीमेडिसिन के माध्यम से एम्स के विशेषज्ञ डॉक्टर डायग्नोस करेंगे। यदि किसी मरीज को दवाई या जांच की आवश्यकता हुई, तो ड्रोन के माध्यम से उन्हें दवाइयां भेजी जाएंगी और उनका ब्लड सैंपल एम्स लाया जाएगा। मरीज शुल्क का भुगतान क्यूआर कोड के माध्यम से करेंगे।


हब एंड स्पोक मॉडल का विकास

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एम्स की ड्रोन सेवा को हब एंड स्पोक मॉडल के तहत विकसित किया जाएगा, जिसमें एम्स को हब के रूप में और अन्य स्वास्थ्य केंद्रों को स्पोक के रूप में कार्य किया जाएगा। भविष्य में टिहरी के फकोट, पिल्खी और यमकेश्वर को भी इस सेवा से जोड़ा जाएगा। इस सेवा का सबसे अधिक लाभ सीएचसी चंबा ने उठाया है, जहां से ब्लड सैंपल शुक्रवार को भी एम्स लाए गए।


ड्रोन मॉडल की सराहना

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एम्स की ड्रोन मेडिकल सेवा का मॉडल अब देश भर में एक बेहतरीन उदाहरण बन चुका है, खासतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में जहां स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी रहती है। यह सेवा मरीजों को बेहतर और त्वरित स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में मदद कर रही है। इस विषय पर किए गए शोध के परिणाम जर्नल ऑफ फैमिली मेडिसिन एंड प्राइमरी केयर इंडिया, जर्नल ऑफ कम्युनिटी हेल्थ और एम्स के जर्नल ऑफ मेडिकल एविडेंस में प्रकाशित हो चुके हैं।


एम्स निदेशक का बयान

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एम्स की निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने कहा, "हमारी ड्रोन मेडिकल सेवा का उद्देश्य हर व्यक्ति को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना है। हम इस सेवा का अधिक से अधिक लाभ लोगों तक पहुंचाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं।"


इस अभिनव सेवा से दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ने की उम्मीद है और यह मच्छर जनित बीमारियों पर नियंत्रण पाने में भी मददगार साबित होगा।

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