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मोटापे से बचने के लिए पीएम मोदी ने दिया गोल्डन टिप, बस ये एक चीज कम कर लो

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 31 जन॰
  • 3 मिनट पठन



जब शरीर में अतिरिक्त फैट जमा हो जाता है, तो वह मोटापे के रूप में बदल जाता है। यह न केवल शारीरिक असुविधा का कारण बनता है, बल्कि स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याओं का भी कारण बन सकता है। मोटापा आजकल एक वैश्विक समस्या बन चुका है, जो युवा से लेकर वृद्ध तक को प्रभावित कर रहा है। इस समस्या से निपटने के लिए लोग कई तरह के उपाय अपनाने की कोशिश कर रहे हैं।


प्रधानमंत्री मोदी का फिट इंडिया अभियान

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देहरादून में राष्ट्रीय खेलों के उद्घाटन के दौरान फिट इंडिया मिशन के तहत मोटापे पर अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे मोटापे से बचने के लिए सक्रिय रहें। प्रधानमंत्री ने शारीरिक गतिविधियों में वृद्धि और आहार में तेल के सेवन को नियंत्रित करने पर जोर दिया। उनका कहना था कि यह कदम मोटापे को नियंत्रित करने में सहायक हो सकते हैं।


मोटापे के बढ़ते खतरे

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प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि देश में मोटापा तेजी से बढ़ रहा है, और यह समस्या हर आयु वर्ग को प्रभावित कर रही है, खासकर युवा पीढ़ी को। मोटापा कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है, जैसे कि डायबिटीज, दिल की बीमारियाँ, और उच्च रक्तचाप।



व्यायाम और आहार पर ध्यान दें

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प्रधानमंत्री ने देशवासियों से दो मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करने की अपील की:


-व्यायाम: रोजाना कुछ समय शारीरिक गतिविधियों के लिए निकालें, चाहे वह पैदल चलना हो या अन्य कोई व्यायाम।

-आहार नियंत्रण: अपने आहार में अस्वास्थ्यकर फैट और तेल की मात्रा को कम करें। हर महीने तेल का सेवन 10 प्रतिशत तक घटाने से सकारात्मक बदलाव हो सकता है।



तेल का अधिक सेवन और मोटापा

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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में मोटापे का मुख्य कारण तेल का अत्यधिक सेवन भी है। दिल्ली के साकेत मैक्स हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. बलबीर सिंह का कहना है कि तेल और फैट हमारे शरीर के लिए आवश्यक होते हैं क्योंकि ये आवश्यक फैटी एसिड्स प्रदान करते हैं, जो सूजन को कम करने में मदद करते हैं और मस्तिष्क स्वास्थ्य को बनाए रखते हैं। हालांकि, अत्यधिक तेल का सेवन शरीर में अतिरिक्त कैलोरी का संचय कर सकता है, जो मोटापे का कारण बनता है और दिल की बीमारियों का जोखिम बढ़ाता है।


सही तेल की मात्रा और प्रकार

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मैक्स हेल्थकेयर की क्लीनिकल न्यूट्रिशन और डाइटेटिक्स विशेषज्ञ रितिका समद्दार के अनुसार, एक सामान्य व्यक्ति को दिन में 20 से 25 मिलीलीटर तेल की आवश्यकता होती है, जो करीब 4 से 5 चम्मच के बराबर होता है। इस प्रकार, एक महीने में 750 से 900 मिलीलीटर तेल उपयुक्त होता है। हालांकि, कई लोग इससे अधिक तेल का सेवन करते हैं, जो उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है, विशेषकर जो दिल की बीमारियों और डायबिटीज से प्रभावित हैं।


कौन सा तेल उपयोगी हो सकता है?

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डॉ. बलबीर सिंह के अनुसार, किसी भी तेल को अधिक गर्म करने या बार-बार गर्म करने से उसमें टॉक्सिक एलीमेंट्स, ट्रांस फैट्स, और फ्री रेडिकल्स बन सकते हैं, जो शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाते हैं और दिल की धमनियों को नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए, मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीअनसैचुरेटेड फैट्स से भरपूर तेलों का सेवन करना बेहतर है। जैतून का तेल, कैनोला तेल, राइस ब्रान ऑयल, रैपसीड ऑयल और सरसों का तेल उचित मात्रा में उपयोग किया जा सकता है।


घी में ओमेगा-3 फैटी एसिड्स होते हैं, जो सूजन कम करने में मदद करते हैं और ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर को नियंत्रित करते हैं, लेकिन इसका सेवन केवल बहुत सीमित मात्रा में करना चाहिए।


निष्कर्ष

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मोटापा, जब तक सही तरीके से प्रबंधित न किया जाए, कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। शारीरिक गतिविधियों में वृद्धि और आहार में संतुलन बनाए रखना मोटापे को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। तेल के सेवन को नियंत्रित करके और सही प्रकार के तेल का चयन करके हम अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।

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