top of page

राष्ट्रीय खेलों में बेटियों का स्वर्णिम प्रदर्शन: संघर्ष से चमके तीरंदाजी के सितारे

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 7 फ़र॰
  • 2 मिनट पठन



देहरादून: उत्तराखंड में चल रहे 38वें राष्ट्रीय खेलों की तीरंदाजी प्रतियोगिता में बेटियों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए सोने और चांदी पर निशाना साधा। लेकिन इन पदकों की चमक के पीछे सिर्फ इन खिलाड़ियों की मेहनत ही नहीं, बल्कि उनके परिवारों के संघर्ष की भी कहानी है। बेटियों के सपनों को साकार करने के लिए उनके पिता ने कर्ज उठाया, मजदूरी की और हर संभव प्रयास किए, ताकि वे देश का नाम रोशन कर सकें।


संघर्ष और तप से मिली सफलता


महिला रिकर्व व्यक्तिगत स्पर्धा में झारखंड की अर्जुन अवार्डी और पद्मश्री दीपिका कुमारी ने स्वर्ण पदक जीता, जबकि हरियाणा की भजन कौर और पारस ने रिकर्व मिक्स टीम स्पर्धा में रजत पदक हासिल किया। इन खिलाड़ियों की सफलता केवल खेल के मैदान पर किए गए अभ्यास का नतीजा नहीं है, बल्कि इसके पीछे संघर्ष, परिश्रम और अपार धैर्य की लंबी यात्रा भी है।


बेटियों के सपनों के लिए पिता का समर्पण


हरियाणा की ओलंपियन भजन कौर 12 साल की उम्र से तीरंदाजी कर रही हैं। उनके शुरुआती दिनों में प्रशिक्षक उपलब्ध नहीं था, लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत से इस मुकाम को हासिल किया।


वहीं, रिकर्व महिला टीम में कांस्य पदक जीतने वाली हरियाणा की कीर्ति की कहानी भी प्रेरणादायक है। कीर्ति हरियाणा के जींद जिले से हैं। उनके पिता विजय छोटे किसान हैं और मां गुड्डी गृहणी। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उनके पिता के पास बेटी के लिए धनुष खरीदने के पैसे नहीं थे। लेकिन उन्होंने करीब तीन लाख रुपये का लोन लेकर बेटी को रिकर्व धनुष दिलाया और उसके सपनों को उड़ान दी।


संघर्ष की कहानियां बनीं प्रेरणा


इन बेटियों के संघर्ष की कहानियां ना सिर्फ तीरंदाजी में रुचि रखने वाले खिलाड़ियों को बल्कि पूरे देश को प्रेरित कर रही हैं। इनकी मेहनत और समर्पण यह साबित करता है कि सपनों को पूरा करने के लिए सिर्फ प्रतिभा ही नहीं, बल्कि दृढ़ निश्चय और परिवार का समर्थन भी जरूरी होता है।

bottom of page