
गंगा नदी को सनातन धर्म में सबसे पवित्र और जीवनदायिनी माना गया है। हिंदू धर्मशास्त्रों में गंगा का विशेष महत्व बताया गया है, और इसे मोक्षदायिनी भी कहा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि धार्मिक ग्रंथों में गंगा के पृथ्वी से विलुप्त होने की भी भविष्यवाणी की गई है? माना जाता है कि कलियुग के अंत तक गंगा नदी धीरे-धीरे लुप्त हो जाएगी।
पुराणों में क्या है उल्लेख?
पुराणों के अनुसार, कलियुग में अधर्म और पाप की वृद्धि होगी, जिससे पृथ्वी पर धार्मिक और नैतिक मूल्यों का ह्रास होगा। पद्म पुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि जैसे-जैसे कलियुग अपने अंतिम चरण में पहुंचेगा, गंगा धीरे-धीरे पृथ्वी से विलुप्त हो जाएगी और पुनः स्वर्गलोक में लौट जाएगी।
गंगा के विलुप्त होने के कारण
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब धरती पर पाप बहुत अधिक बढ़ जाएगा, तब गंगा अपने वास्तविक स्थान (स्वर्ग) लौट जाएगी।
गंगा की महत्ता
गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की आस्था और जीवन का आधार है। यह उत्तर भारत के कई राज्यों से होकर बहती है और लाखों लोगों की जल जरूरतों को पूरा करती है। इसके जल का धार्मिक कार्यों में उपयोग किया जाता है और इसे बेहद पवित्र माना जाता है।