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मुंबई के हर भिखारी के पास है 'जग्गू दादा' का नंबर, सौ से ज्यादा परिवारों का पेट भरते हैं जैकी श्रॉफ

  • लेखक की तस्वीर: ANH News
    ANH News
  • 21 अप्रैल
  • 3 मिनट पठन



बॉलीवुड: सिल्वर स्क्रीन पर भले ही उन्होंने एक्शन और स्टाइल से सबका दिल जीता हो, लेकिन रियल लाइफ में जैकी श्रॉफ का किरदार और भी बड़ा है—एक मसीहा, जो चुपचाप सैकड़ों ज़रूरतमंदों की जिंदगी रोशन कर रहे हैं। जैकी श्रॉफ, जिन्हें लोग प्यार से 'जग्गू दादा' कहते हैं, उन सितारों में गिने जाते हैं, जिनकी दरियादिली के किस्से सुनकर आंखें नम हो जाती हैं और दिल दुआ देने लगता है।


गरीबी में जन्म, फिर भी औरों का सहारा बनने का जज्बा

1 फरवरी 1957 को मुंबई की तीन बत्ती चॉल में जन्मे जयकिशन काकूभाई श्रॉफ आज ‘जैकी श्रॉफ’ बनकर न सिर्फ अभिनय की दुनिया में चमके, बल्कि हजारों लोगों के लिए आशा की किरण भी बन गए। बचपन बेहद तंगहाली में बीता—एक छोटे से कमरे में पूरे परिवार के साथ, जहां रात को सोते समय चूहे उंगलियां कुतर लेते थे। केवल तीन बाथरूम वाली सात इमारतों की चॉल में पले-बढ़े जैकी 11वीं के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी क्योंकि हालात पढ़ने नहीं दे रहे थे।


बस स्टैंड से मिला फिल्मों का ऑफर, बदली किस्मत

कभी मूंगफली बेची, कभी शेफ बनने की कोशिश की, फ्लाइट अटेंडेंट के लिए आवेदन दिया—लेकिन हर दरवाज़ा बंद मिला। और फिर एक दिन बस स्टैंड पर खड़े जैकी को फिल्म का ऑफर मिला, जिसने उनकी किस्मत ही बदल दी। सुभाष घई की फिल्म ‘हीरो’ (1983) से डेब्यू किया और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।



“मैं भूखा था, अब किसी और को भूखा नहीं देख सकता”

जैकी का दिल आज भी वहीं है, जहां से वो चले थे। उन्होंने कभी अपनी गरीबी को भुलाया नहीं, बल्कि उसे ही दूसरों की भूख मिटाने का संकल्प बना लिया। जैकी श्रॉफ का कहना है, “मैं जानता हूं भूखा होना कैसा लगता है, इसलिए अब कोई और भूखा न रहे—इसके लिए जो बन पड़े, करता हूं।”



नानावती अस्पताल में गरीबों के लिए खाता, इलाज का खर्च उठाते हैं

जैकी श्रॉफ आज भी मुंबई के नानावती अस्पताल में गरीबों के इलाज के लिए अकाउंट में नियमित रूप से पैसा जमा करते हैं। यह जानकारी उन्होंने सिमी ग्रेवाल के चैट शो में दी थी। इस खाते से इलाज, दवाएं और मेडिकल सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं उन लोगों को, जो अपने खर्च नहीं उठा सकते।


मुंबई के 100 से ज़्यादा परिवारों का पेट भरते हैं

जैकी न सिर्फ आर्थिक मदद करते हैं, बल्कि मुंबई के 100 से ज़्यादा जरूरतमंद परिवारों को रोज़ाना खाना भी भेजते हैं। कई लोग ऐसे हैं जो उन्हें सीधे फोन करते हैं, और "दादा" का खाना कुछ ही समय में पहुंच जाता है। पाली हिल से लेकर तीन बत्ती तक, फुटपाथ पर रहने वाला हर भिखारी उनका नंबर जानता है।



कमाई का 50% हिस्सा दान में देते हैं जैकी

यह खुलासा भी सिमी ग्रेवाल के शो में हुआ, जहां जैकी की पत्नी आयशा श्रॉफ ने बताया कि जैकी अपनी आय का आधा हिस्सा ज़रूरतमंदों की मदद में खर्च कर देते हैं। वह तब भी ऐसा करते थे, जब उनके पास खुद कुछ नहीं होता था। "कभी खुद के पास पैसे नहीं होते थे, फिर भी दूसरों की मदद के लिए मुझसे मांगकर दे देते थे," – आयशा ने कहा।



“भूख लगे तो फोन करना” — हर ज़रूरतमंद को दिया नंबर

जैकी ने कभी दिखावा नहीं किया। उन्होंने हर उस इंसान को, जो ज़िंदगी के मोर्चे पर हारता हुआ नज़र आया, अपना फोन नंबर दिया और कहा — “रात को भूख लगी हो तो फोन कर देना, खाना आ जाएगा।” और वाकई, उनके कहे मुताबिक, हर दिन कोई न कोई उन्हें कॉल करता है और “जग्गू दादा” बिना किसी प्रचार के मदद पहुंचाते हैं।


नायक असल में वही है जो पर्दे से उतरकर भी मदद करता है

जैकी श्रॉफ की कहानी सिर्फ एक एक्टर की नहीं, बल्कि इंसानियत की मिसाल है। जहां आज के दौर में सेल्फी और सोशल मीडिया पर दिखावा ज्यादा है, वहीं जैकी जैसे सितारे बिना कैमरों के वो सब कर रहे हैं, जो असल में किसी नायक को करना

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