Dehradun:तेंदुए की दुनिया के रहस्य खोलेगा कैमरा कॉलर, वैज्ञानिकों को मिले बेशकीमती सुराग
- ANH News
- 12 अप्रैल
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देहरादून: भारत में वन्यजीव अनुसंधान के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक और अभिनव कदम उठाया गया है। पहली बार, भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII), देहरादून ने एक तेंदुए के गले में कैमरा कॉलर लगाकर उसकी गतिविधियों को बेहद करीब से रिकॉर्ड किया है। यह तकनीक अब तक केवल रेडियो कॉलर या कैमरा ट्रैप तक सीमित थी, लेकिन कैमरा कॉलर के प्रयोग से तेंदुए के प्राकृतिक व्यवहार, जीवनशैली और आवास क्षेत्र की बारीक जानकारी वैज्ञानिकों को प्रत्यक्ष रूप में प्राप्त हो रही है।
कैसे हुआ यह अनूठा प्रयोग?
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संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. बिलाल हबीब के नेतृत्व में इस प्रयोग को महाराष्ट्र के पुणे जिले के एक जंगल में अंजाम दिया गया। तीन महीने पहले एक तेंदुए को सुरक्षित रूप से ट्रैंक्यूलाइज़ (बेहोश) कर उसके गले में एक विशेष कैमरा युक्त कॉलर लगाया गया। यह कॉलर हर घंटे 30 सेकंड का वीडियो रिकॉर्ड करता रहा।
तीन महीने की अवधि में कैमरा कॉलर ने लगभग 1,000 वीडियो क्लिप्स बनाए हैं, जिनमें तेंदुए के दैनिक जीवन के कई अनछुए पहलुओं को कैद किया गया है। खास बात यह है कि इस कॉलर में एक ऐसी तकनीक भी थी, जिससे उसे रिमोट के ज़रिए आसानी से खोला और हटाया जा सका।
कैमरे में कैद हुई तेंदुए की असली दुनिया
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इन वीडियो रिकॉर्डिंग्स से वैज्ञानिक यह पता लगा सकेंगे कि:
-तेंदुआ दिन और रात में कहां-कहां गया
-उसने किस जगह सड़क पार की
-कहां पानी पिया
-किस स्थान पर विश्राम किया या सोया
-और किस तरह वह मानव बस्तियों के पास से गुजरा या बचकर निकला
इस अध्ययन से तेंदुए के प्राकृतिक व्यवहार, स्थानिक पैटर्न, भोजन की तलाश की प्रक्रिया, और संभावित खतरों की भी जानकारी मिल सकेगी।
संरक्षण की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम
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भारतीय वन्यजीव संस्थान के निदेशक वीरेंद्र तिवारी ने बताया कि यह प्रयोग देश में अपनी तरह का पहला प्रयास है। इससे न केवल तेंदुए के बारे में वैज्ञानिक समझ बढ़ेगी, बल्कि इसके आधार पर वन्यजीव संरक्षण नीतियों को और अधिक सटीकता से तैयार किया जा सकेगा।
यह तकनीक भविष्य में बाघों, तेंदुओं, भालुओं या अन्य शिकारियों के व्यवहार को भी समझने में उपयोगी साबित हो सकती है, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने और संरक्षण प्रयासों को सशक्त बनाने में मदद मिलेगी।
भारत में वन्यजीव अनुसंधान ने एक नई दिशा पकड़ी है। कैमरा कॉलर जैसे अत्याधुनिक तकनीकों के माध्यम से अब हमें तेंदुए जैसे रहस्यमयी जीवों की दुनिया को उस नज़रिए से देखने का मौका मिलेगा, जैसा पहले कभी संभव नहीं था। यह न केवल विज्ञान की जीत है, बल्कि प्रकृति और मानव के बीच बेहतर सह-अस्तित्व की ओर एक बड़ा कदम भी है।