AIIMS: पैरों की नसों में ब्लाॅकेज का इलाज अब बिना सर्जरी, AIIMS ऋषिकेश की नई उपलब्धि
- ANH News
- 6 दिन पहले
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एम्स ऋषिकेश ने चिकित्सा जगत में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज की है। संस्थान के रेडियोलॉजी विभाग ने एथेरेक्टॉमी तकनीक के माध्यम से फीमोरल धमनी (जांघ की सबसे बड़ी रक्त वाहिका) में ब्लॉकेज का बिना सर्जरी सफल इलाज कर दिखाया है। इस उन्नत तकनीक से अब मरीजों को न तो बाइपास सर्जरी की जरूरत पड़ेगी और न ही रक्त वाहिका में स्टंट डालने की आवश्यकता होगी।
देश के नवस्थापित एम्स में पहली बार इस्तेमाल
यह तकनीक अपनाने वाला एम्स ऋषिकेश, देश के नवस्थापित एम्स संस्थानों में पहला है जिसने इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। एम्स के डायग्नोस्टिक एंड इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी विभाग (डीएसए लैब) ने अप्रैल के पहले सप्ताह में देहरादून निवासी 68 वर्षीय एक मरीज का सफल इलाज किया। मरीज को कई महीनों से पैरों में रक्त प्रवाह रुकने के कारण दर्द, चलने-फिरने में कठिनाई और त्वचा के रंग में कालेपन की समस्या थी।
क्या है एथेरेक्टॉमी तकनीक?
इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर और इस प्रक्रिया के ऑपरेटिंग विशेषज्ञ डॉ. उदित चौहान ने बताया कि एसएफए एथेरेक्टॉमी एक न्यूनतम इनवेसिव एंडोवास्कुलर प्रक्रिया है। इसे विशेष रूप से सुपरफिशियल फेमोरल आर्टरी (SFA) में जमी एथेरोस्क्लेरोटिक प्लाक (जमे हुए कोलेस्ट्रॉल) को हटाने के लिए डिजाइन किया गया है। यह तकनीक परिधीय धमनी रोग (Peripheral Artery Disease - PAD) से ग्रसित रोगियों के लिए बेहद कारगर है। इससे रक्त प्रवाह सुधरता है और दर्द तथा अन्य लक्षणों में त्वरित राहत मिलती है।
रोगियों के लिए नई उम्मीद
एम्स के रेडियोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. अंजुम ने बताया कि यह तकनीक उन मरीजों के लिए अत्यंत लाभकारी है जो पीएडी से पीड़ित हैं और पारंपरिक सर्जरी से बचना चाहते हैं। इस minimally invasive तकनीक से इलाज में जोखिम कम होता है और रिकवरी भी तेजी से होती है। विभाग के डॉ. पंकज शर्मा और डॉ. उदित चौहान ने सलाह दी है कि जिन मरीजों को पैरों में ब्लॉकेज की समस्या है, वे अस्पताल के पांचवें तल पर स्थित डीएसए लैब में परामर्श ले सकते हैं।
एम्स ऋषिकेश की निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने इस उपलब्धि पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा:
“हमारे चिकित्सकों द्वारा इस प्रक्रिया का सफल निष्पादन, उन्नत चिकित्सा तकनीकों को अपनाने और रोगियों को अत्याधुनिक उपचार प्रदान करने के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। एसएफए एथेरेक्टॉमी की शुरुआत करके एम्स ऋषिकेश ने न केवल अपनी इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी क्षमताओं को सुदृढ़ किया है, बल्कि अन्य नवस्थापित एम्स संस्थानों के लिए भी एक मिसाल पेश की है। यह उपलब्धि चिकित्सा देखभाल में नवाचार और उत्कृष्टता के माध्यम से रोगियों के जीवन में सुधार की दिशा में एक अहम कदम है।”